पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५१९

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खिलाफतका प्रश्न


या खुर्द हो। इस्लाम धर्मके भीतर जातीयताके भेदभावके लिये स्थान नहीं है। तो क्या थे मित्र शक्तियां हमें अपने ही शासन से मुक्त कराना चाहती हैं ? यह केवल एक बहानामात्र है जिसकी ओट में वे हमारा नाश करना चाहती हैं और हमें दास बनाये रखना चाहती हैं।.....'न्यायका दो रूप नहीं होना चाहिये। यदि आप वास्तव मैं न्याय के सिद्धान्त का प्रयोग अरना चाहते हैं तब आप तुर्को और मुसलमानों का क्यों उससे वञ्चित रखना चाहते हैं ! उनके हाथ से उनका पैतृक सम्पत्ति छीनने की क्यो तैयारी कर रहे हैं ? तुर्क साम्राज्य अविच्छिन्न है, जिसमें तुर्क, अरब और खुर्द जातियां रहती है। इनमे न कोई किसी को सताता है और न कोई किसी से सताया जाता है।

यहीं पर यह प्रश्न भी उठ सकता है कि जो अधीन जातियां अल्पतम है उनकी रक्षाका क्या प्रबन्ध होना चाहिये ? यदि उनकी रक्षा करनी है तो क्या इसके लिये उन्हें यह कहना हागा कि तुम लोग तुर्क साम्राज्यको छोड़कर कही अन्यत्र जाकर बसो ? यदि यह बात सम्भव होतो तोभी अतिहीन थी । इस प्रश्न के निपटारे के लिये मिस्टर पिकेटहालक मत से सहायता लेना होगा जिसका विवरण हमने ३ री दिसम्बर के लेख में दिया है। पाठ- कों की सुविधा के लिये हम उस युक्ति को यहां दोहरा दना उचित समझते हैं। मिस्टर पिकेटहालने लिखा है:---"जिन राज्यों को आप स्वायत्त शासन देना चाहते है उनका सङ्घ बना लीजिये। इतना कर लेने के बाद आपको राष्ट्रसङसे संरक्षकता लेने की आव.