पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५४६

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खिलाफत की समस्या


क्योंकि इसका असर करोड़ों मुसलमानों के धार्मिक भावों पर पड़ता है । यह बात आश्चर्यजनक होने पर भी सत्य है कि मुसलमानों की स्त्रियाँ और बच्चे भी इस प्रश्न में दिलचस्पा रखते है । इम्पीरियल गवर्नमेंट ( ब्रिटिश शासकों ) के इस प्रश्न पर जो विचार हैं उनके विषय में मुसलमानों के दिलों में बड़ा भारी सन्देह है । यद्यपि वाइसराय इस अवस्था के महत्व से बेखबर नहीं हैं, तोभी मैं समझता हूं कि मुसलमानों के दिलों को संत्वना देने के लिये आवश्यक है कि इस प्रश्न के विषय में ब्रिटिश सरकार अपनी नीति प्रगट कर दे ।

जहाँ तक मैं जानता हूं इस प्रश्नके अन्तर्गत तीन मुख्य बात है । एक खिलाफत और टर्की के आधिपत्य के बारे में, दूसरी पवित्र मक्का और मदीना के बारे में और तीसरी पैलेस्टाइन के बारे में । संक्षेप में आप यह कहते हैं कि मुसलमानों के अधिकार युद्ध के पूर्व जिस अवस्था में थे वैसे ही अब भी रहने दिये जाय। हमारे मुसलमान देश-बन्धुओं का यह विचार है कि लौकिक और पारलौकिक शक्तियों में घनिष्ट सम्बन्ध है। इस लिये मैं अच्छी तरह समझता हूं कि टर्की के छिन्न-भिन्न करने की बात के विरुद्ध मुसलमानों के दिलों में कैसे कैसे भाव उठते होंगे । लेकिन टाइम्स आफ इंडिया और दूसरे पत्रों ने लिखा है कि अभी तक मुसलमानों की ओर से उनके स्वत्वों का कोई सप्रमाण और विश्वसनीय बयान प्रकाशित नहीं हुआ है । केवल आप ही लोग इस त्रुटिको पूरा कर सकते हैं । मुसलमानों के स्वत्वों का यह