पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५५१

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नया मार्ग


घटनाओं ने भारतीयों के हृदय पर कठोर आघात किया है । भारत के मुसलमान नेताओ ने भी भली भांति देखा कि गुप्त सन्धि के अन्तर्गत जो स्वार्थ छिपा है उसके बोझ से मित्रराष्ट्र बेतरह दबे हैं। उन्होंने तुरन्त एक डेपुटेशन बनाया और जोर पकड़ा। मुसलमानोंकी कमसे कम मांगोंकी उन्होंने घोषणा की । इम डेपुटेशन का प्रथम दल इङ्गलेण्ड गया । खिलाफत डेपुटेशनने लिबरल दलके बड़े नेतासे मुलाकात की । प्रधान मन्त्रीके सामने भी उन्होंने अपनी मांग उपस्थित की । इसका जो कुछ परिणाम हुआ हम जानते हैं। उन्होंने (डेपुटेशनवालोंने) केवल व्यक्ति विशेषोंसे ही बातचीत करके अपना काम समाप्त नही समझा । एसेक्स हालमें उन्होंने सार्वजनिक सभामे भाषण किया। इस सभामे अधिकांश अंग्रेज श्रोता थे । कहा जाता है कि इस सभाका अंग्रेजों पर अच्छा असर पड़ा। बम्बे क्रानिकलके संगददाताने लिखा है कि शीघ्र ही दूसरी सभा भी होनेवाली है ।

खिलाफत के प्रश्न का निपटारा चारो प्रधान शक्तियों के हाथ में है । इनमें से एक इटाली के प्रधान मन्त्री सीनियर निटी हैं । उन्होंने जो भाषण अभी हालमें किया है और इटाली राष्ट्रपरिषद ने उसकी प्रशंसा जिस प्रकार की है उससे यही विदित होता है कि एशिया माइनर अथवा तुर्कीमें वे भूमिका किसी तरहका बटवारा नहीं चाहते । उन्होंने कहा कि मुसलमानों के धार्मिक भावोंको किसी भी तरह उत्तजित करना भूल होगी । पर