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( जून ३०, १९२० )
। धारे धीरे मुसलमान लोग युद्धकी तैयारी कर रहे है। उन्हें
जिन कठिनाइयों से लड़ना है वे भीषण हैं पर पैगम्बर मुहम्मद
साहन को जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था उनके
मुकाबिले ये कुछ भी नहीं हैं। उन्हें बारबार अपनो जानका
जोखिम में डालना पड़ा था। इतने पर भी ईश्वर पर से उनका
विश्वास नहीं उठा। वे दूढ रहे। उन्हें परेश नीन कभी नही
मताया क्योंकि उनका विश्वास था कि ईश्वर मेरे साथ है और
मैं सत्य का प्रचार कर रहा हूं। यदि उनके अनुयायियो में उसका
आधा भी विश्वास है, यदि उनमें आधी भी ढ़ना है तो जो वाधायें
उनके मार्गमें इस समय उपस्थित हो रही है, मापसे आप दूर
हो जायंगो बल्कि थोड़े दिनों में वे ही कठिनाइयां और बाधाये
सुर्कोके अंगभंग करनेवालोंके मार्गमें जो उपस्थित होने लगेगी।
इस समय ही मित्रराष्ट्रॉमें जो लोलुपता आ गई है वह उन्हें
खानेके लिये म ह फ ला रही है। फांस अपने भारको कठिन
समझ रहा है। यूनानियोंने बेईमानीसे जो कुछ भी प्रास किया
है उसे वे पचा नहीं सकते। और इङ्गलेण्ड मेलापोटामिया पर
अधिकार जमा लेना टेढ़ी चोर समझ जा है। जिस अभिको
उसने.समादमें पड़कर अगाया है उसका और मी प्रज्वलित