यदि उन्होंने अपनी सहायता अपने आप की तो हिन्दुओंकी सहायता उन्हें अवश्य प्राप्त होगी और सरकार चाहे वह कितनी ही बलिष्ठ क्यों न हो अवश्य ही सिर झुकावेगी। रक्तपात रहित जनताके सामूहिक विरोधका सामना कोई भी सरकार नहीं कर सकती।
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हाउस आफ कामन्समें एक सदस्यके प्रश्नके उत्तरमें मि० माण्टेगूने महात्मा गांधीको राजद्रोही कहा था और उनके सम्बन्धमें कुछ धमकियाँ भी दी थी। महात्मा गांधीने उनकी धमकियोंका जो उत्तर दिया था वह इस प्रकार है :-
'खिलाफत आन्दोलन जिसका कि रोज बल बढ़ता जा रहा है, मि॰ माण्टेगूको पसन्द नहीं है। हाऊस आफ कामन्समें कुछ प्रश्नोंके उत्तरमें आपने कहा है कि यद्यपि आप यह स्वीकार करते हैं कि मैंने भूतकालमें देशकी अच्छी सेवा की है तथापि आप मेरी वर्तमान नीतिको शान्त भावसे नहीं देख सकते और अब मेरे साथ वैसा नरमीका व्यवहार नहीं किया जायेगा जैसा कि रौलट ऐक्ट सम्बन्धी आन्दोलनके समय किया गया था। आपने यह भी कहा है कि आपको भारत सरकार और प्रान्तीय