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खिलाफतकी समस्या

अहिंसा का पालन करना होगा। हमें अपने प्रत्येक काम में यह देख लेना होगा कि कहींसे अहिंसा नहीं होने पाती। यदि हम लोगोंने सरकारके प्रति या सरकारके हिमायतियोंके प्रति अर्थात् वे लोग जो सरकारका ही पक्ष ग्रहण कर रहे हैं और हमारा साथ नहीं दे रहे हैं उनके प्रति यदि हमने अहिंसाका किसी तरहका भाव प्रगट किया तो इससे हमारी ही हानि समझिये। सरकारको शलबलके प्रयोगका अवसर मिल जायगा, वगुनाहोंकी जाने जायंगी, असहयोगको स्थगित करना पड़ेगा और हमें अपने हृदयको पोछे खींचना पड़ेगा। इसलिये जिन लोगोंके हृदयों में इस बातकी आन्तरिक अभिलाषा है कि कमसे कम समयमें ही हमें इस असहयोगव्रतकी सफलता दिखला देनी चाहिये उन्हें चाहिये कि सबसे पहले इस बातको देखें कि उनके बीचमें कहींसे हिंसाकी बबास नहीं आ रही है। केवलमात्र अहिंसा और पूर्ण शान्ति हो अस-हयोग व्रतको सफल कर सकती है।