पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/६३

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पर लार्ड हण्टरने इसे स्वीकार नहीं किया। निदान कांग्रेस सबकमेटीने हण्टर कमेटीका बहिष्कार करना निश्चय किया। उसने अलग जांच आरम्भ की और अपनी रिपोर्ट अलग प्रका- शित की। मार्च २६, १९२० को इस सबकमेटाने अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की और गवाहियोंके अनुसार जनताकी ओरसे मार्ग ल लाके अधिकारियों के अपराधके लिये कुछ दण्डकी सिफा- रिशकी जो बहुत ही साधारण थीं। हण्टर कमेटोकी रिपोर्ट सव सम्मत नही थी। युरोपियन सदस्योंने अधिकारियोंकी कर करनाका मनमाना लीपापाता की थी, ग्वब सफेदी पाती थी पर हिन्दुस्तानी सदस्योंने एक मतसे स्वीकार किया था कि पञ्जाबमें मार्शल लाका समर्थन किसी भा तरह नहीं किया जा सकता। एक तो कमेटीकी सिफारिश योही असन्तोपज नक थी, सरकारने जा कुछ किया उनसे जनता सन्तुष्ट नहीं हुई। इस असन्तापने असहयोग आन्दोलनका जन्म दिया।

खिलाफतका प्रश्न

उधर खिलाफतका प्रश्न भी लागोंके चित्तका अशान्त कर रहा था। तुर्कीने जर्मनाका साथ देकर भारताय मुसलमानोंकी स्थिति दोलायमान कर दी था। एक तरफ तो खलीफाका ख्याल जो उनके धर्मका रक्षक और प्रधान पुरुष समझा जाता है और दूसरी ओर ब्रिटिश सरकार जिसकी वे प्रजा थे और जिसका छत्रछायामें इतने दिनोंसे रहते थे। वे स्थिर नहीं कर सकते थे