पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/९०

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तिलाक दे दिया। इसका प्रमाण बिहार कौंसिल की उस बहस से मिलता है जो बाबू राजेन्द्र प्रसाद पर दफा १४४ का हुक्म लगने पर हुई थी। यह हुक्म इसलिये नहीं दिया गया था कि मजिस्ट्रट को सार्वजनिक शान्ति के भङ्ग होने की आशङ्का थी वरन् इसलिये कि वह सरकारी सर्कुलर की पाबन्दी कर रहा था। एक अभियोग में, जो दफा १०७के अनुसार चलाया गया था एक सब इन्स्पेक्टर ने इकबाल किया कि मैंने एक असहयोगी के विरुद्ध इसलिये रिपोर्ट की कि उसके किसी अफसर ने शिकायत की थी। यह गवाह खिलाफ ठहराया गया और हटा दिया गया।

अंग्रेजों और ऐंग्लो-इण्डियनोंकी 'दृढ़ता के लिये चिल्लाहट।

इस बात के मानने के कई कारण ह कि उन दमन न केवल भारत सरकार की अशङ्काओं के कारण आरम्भ किया गया बल्कि इग्लैण्ड से भी उसके लिये चिलाहट मची थी। 'ढ़ता दिखाने के लिये जो पुकार उठी थो वह दिन दिन तीध होती गयी और इण्डोब्रिटिश असोसियेशन की एमर्जेन्सी कमेटीन आन्दोलन के विरुद्ध सबल और अन्यायपूर्ण प्रचार आरम्भ किया। भारतनिवासी अग्रेजों में जो नरम विचारके हैं वे समझते थे कि इग्लिस्तान में जो आन्दोलन किया जा रहा था उसका भारत की राजनीतिक परिस्थिति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। पर जब सर फ्रांक स्लाईने पमर्जेन्सी कमेटो के पास