पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/९१

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सावधानी का तार भेजा तो वहां से यह अपमान जनक जवाब आया कि 'अपना काम देखो'।

अली-भाइयोंका मुकदमा।

लण्डन में जो आंधी उठ रही थी वह अली भाइयों के सिरों पर आकर टूटी। ये दोनों सजन सितम्बर में गिरफ्तार किये गये और करांचो के दौरा जज के न्यायालय में इनपर कई अपराध लगाये गये। इनमें से दफा १२० और दफा १३१ (षड्यन्व-रचना और बलवेमें सहायता देना) जो सबसे कडे थे वे तो ठहर न सके पर गौण आक्षेपों अर्थात् दफा ५०५ दफा १०६ और दफा ११७ ( बलदा करानेके उद्देश्यसे झूठी बातें फैलाना) पर इनको कड़े दण्ड दिये गये। मुकदमे का यह परिणाम होने पर भी सर विलयम विन्सेण्टने व्यवस्थापक सभा पर एक तीसरे व्यक्तिके लिखे किमो पत्रका जिक्र करके दवाव डालना चाहा, यद्यपि अलीबन्धु उसे खुले तौर पर जाली बताते हैं और मुकदमे के वक्त सरकार के कब्जे में होते हुए भी वह गवाही में पेश नहीं किया गया। ऐसी व्यवस्थापक सभा में जिसमें कई प्रसिद्ध वकील भी हैं ऐसे बयान पर किसी प्रकार- का तर्क न किया जाना कौंसिल के सदस्यों की गैर जिम्मेदारी का प्रमाण है।

अली-बधुओंके अपराधको सहस्रोंने दुहराया।

अली बन्धुओंको १ नवम्बरको सजा दी गयी। कांग्रेस

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