पृष्ठ:योगवाशिष्ठ भाषा प्रथम भाग.djvu/२९५

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उत्पत्ति प्रकरण।

है न अकिश्चित् है? वह कौन अणु है जिसमें तेरा और मेरा अहं फुरता है और वह कौन है जो अहं त्वं एक में जानता है? वह कौन है जो चला जाता है और कदाचित् नहीं चलता और वह कौन है जो तिष्ठित भी है और प्रतिष्ठित भी है? वह कौन है जो पाषाणवत है और वह कौन है? जिसने प्रकाश में चित् किये हैं? वह कोन अग्नि है जो दाहक शक्ति से रहित है और अग्निरूप है और वह अग्नि कौन है जिससे अग्नि उपजी है? वह कौन भणु है जो सूर्य, अग्नि, चन्द्रमा और तारों के प्रकाश से रहित और कविनाशी है और वह कौन है जो नेत्रों से देखा नहीं जाता और सब प्रकाशों को उत्पन्न करता है? वह कौन ज्योति है जो फूल, फल और वेल को प्रकाशती है और जन्मान्ध को भी प्रकाशती है? वह कौन अणु है जो आकाशादिक भूतों को उपजाता है और वह कौन अणु है जो स्वाभाविक प्रकाशमान है? वह भण्डार कौन है जिससे ब्रह्माण्डरूपी रत्न उपजते हैं? वह कौन अणु है जिसमें प्रकाश और तम इकट्ठे रहते हैं और वह कौन अणु है जिससे सत् और असत् इकट्टे रहते हैं? वह कौन अणु है जो दूर है परन्तु दूर नहीं और वह कौन अणु है जिसमें सुमेरु आदिक पर्वत भी समाय रहे हैं? वह कौन अणु है जिसमें निमेष में कल्प और कल्प में निमेष है और वह कौन है जो प्रत्यक्ष और सद्रूप है? वह कौन है जो सत् और अप्रत्यक्षरूप है। वह कौन चेतन है जो अचेतन है और वह कौन वायु है जो अवायु रूप है? वह कौन है जो शब्दरूप है और वह कौन है जो सर्व और निष्किञ्चित् है? वह कौन अणु है जिसमें अहं नहीं है? वह कौन है जिसको अनेक जन्मों के यत्न से पाता है और पाके कहता है कि कुछ नहीं पाया मोर सब कुछ पाया? वह कौन अणु है जिसमें सुमेरु आदिक तीनों भुवन तृणसमान हैं और वह कौन अणु है जो अनेक योजनों को पूर्ण करता है? वह कौन अणु है जिसके देखने से जगत् फुर आता है और वह कौन अणु है जो अणुता को त्यागे विना सुमेर भादिक स्थूल भाकार को प्राप्त होता है ? वह कौन अणु है जो बाल का सौवों भाग और सुमेरु से भी ऊँचा हुआ है? वह कौन अणु है जिसमें सब अनु