पृष्ठ:योगवासिष्ठ भाषा (दूसरा भाग).pdf/९६४

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जाहिरात. नामपुस्तक की. . आ. चन्द्रावलीज्ञानोपमहासिन्धु--इस प्रन्थमें वेदवेदान्तका सार मुमुक्षुओंके ज्ञानार्थ-राग रागिनियों में अच्छीप्रकार वार्णत. ... ... ... ... ... ... ... ... ०-६ जीवब्रह्मशतसागर-भाषा-इसमें-ज्ञानकी अत्यन्त रोचक अनेक बातें हैं. ... ... ... ... ... ... ... ०-३ तत्त्वानुसन्धान-भाषामें स्वामी चिद्धनानन्दकृत अर्थात् अद्वैतचिन्ताकौस्तुभ यह ग्रन्थ आदि अन्ततक देखनेसे भलीप्रकार वेदान्तके छोटे बड़े ग्रन्थ आपही आप विचार सक्ते हैं ... ... ... ... ... ... २-० दशोपनिषद्-भाषामें । स्वामी अच्युतानन्दगिरिकृत दशोपनिपका सरलभाषामें मूल २ का उल्था कियागयाहै, मुसु क्षुओंको पढनेसे शीघ्र अध्यात्मबोध होता है ... ... २-१ पक्षपातरहित अनुभवप्रकाश-{ कामलीवाले बाबाजी कृत ) इसमें--चारवेद, पशास्त्रोंका सार और अठारहों पुराणोंकी कथा आदिका अध्यात्म विद्यापर अर्थ लिखागया । आत्मज्ञानियोंको अत्यन्त दुर्लभ .. ... ... २-८ प्रबोधचन्द्रोदयनाटक-- ( वेदान्त ) भाषा गुलाबसिंहकृत अतीवरोचक है. ... ... ... ... ... ... १-० प्रत्येकानुभवशतक-भाषा-यह छोटासा ग्रन्थ पढनेसे वेदा न्तमें अच्छा अनुभव सिद्ध होताहै. ... ... ... ०-४ ब्रह्मनिरूपण ज्ञानकुश-अथवा रामअयन रामायणभक्तों का सुगम मोक्षोपाय. ... ... ... ... ... १--४ ब्रह्मज्ञानदर्पण--(अर्थात् ज्ञानकी आरसी. )... ... ... ०१-२ भावार्थसिन्धु--भाषावेदान्त--यह ग्रंथ आत्मज्ञानप्राप्त कर नेमें बहुतही उपयोगी होनेसे सुसुक्षुओंको अवश्य संग्रहशीय,::: :: :: :: :: :: :: :: ०-८