पृष्ठ:रंगभूमि.djvu/२१५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
२१७
रंगभूमि

मि० सेवक—"उसने मुआवजा नहीं लिया। रुपये खजाने में जमा कर दिये गये हैं। बदमाश आदमी है।"

एक ईसाई बैरिस्टर ने, जो चतारी के राजा साहब के प्रतियोगी थे, सूरदास से पूछा—"क्यों अन्धे, कैसी जमीन थी? राजा साहब ने कैसे ले ली?"

सूरदास—“हुजूर, मेरे बाप-दादों की जमीन है। सेवक साहब वहाँ चुरुट बनाने का कारखाना खोल रहे हैं। उनके कहने से राजा साहब ने वह जमीन मुझसे छीन ली है, दुहाई है सरकार की, दुहाई पंचो, गरीब की कोई नहीं सुनता।"

ईसाई बैरिस्टर ने क्लार्क से कहा—"मेरे विचार में व्यक्तिगत लाभ के लिए किसी की जमीन पर कब्जा करना मुनासिब नहीं है।"

क्लार्क—"बहुत अच्छा मुआवजा दिया गया है।"

बैरिस्टर—"आप किसी को मुआवजा लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, जब तक आप यह सिद्ध न कर दें कि आप जमीन को किसी सार्वजनिक कार्य के लिए ले रहे हैं।"

काशी-आयरन-वर्क्स के मालिक मिस्टर जॉन बर्ड ने, जो जॉन सेवक के पुराने प्रतिद्वंद्वी थे, कहा— "बैरिस्टर साहब, क्या आपको नहीं मालूम है कि सिगरेट का कारखाना खोलना परम परमार्थ है? सिगरेट पीनेवाले आदमी को स्वर्ग पहुँचने में जरा भी दिक्कत नहीं होती।"

प्रोफेसर चार्ल्स सिमियन, जिन्होंने सिगरेट के विरोध में एक पैंफ्लेट लिखा था, बोले—"अगर सिगरेट के कारखाने के लिए सरकार जमीन दिला सकती है, तो कोई कारण नहीं है कि चकलों के लिए न दिलाये। सिगरेट के कारखाने के लिए जमीन पर कब्जा करना उस धारा का दुरुपयोग करना है। मैंने अपने पैंफ्लेट में संसार के बड़े-से-बड़े विद्वानों और डॉक्टरों की सम्मतियाँ लिखी थीं। स्वास्थ्य-नाश का मुख्य कारण सिगरेट का बहुत प्रचार है। खेद है, उस पैंफ्लेट की जनता ने कदर न को।"

काशी-रेलवे-यूनियन के मंत्री मिस्टर नीलमणि ने कहा—"ये सभी नियम पूँजी-पतियों के लाभ के लिए बनाये गये हैं, और पूँजीपतियों ही को यह निश्चय करने का अधिकार दिया गया है कि उन नियमों का कहाँ व्यवहार करें। कुत्ते को खाल की रखवाली सौंपी गई है। क्यों अवे, तेरो जमीन कुल कितनी है?"

सूरदास—"हजूर, दस बीघे से कुछ ज्यादा ही होगी। सरकार, बाप-दादों की यही निसानी है। पहले राजा साहब मुझसे मोल माँगते थे, जब मैंने न दिया, तो जबरजस्ती ले ली। हजूर, अंधा-अपाहिज हूँ, आपके सिवा किससे फरियाद करूँ? कोई सुनेगा तो सुनेगा, नहीं भगवान् तो सुनेंगे!”

जॉन सेवक अब वहाँ पल-भर भी न ठहर सके। वाद-विवाद हो जाने का भय था और संयोग से उनके सभी प्रतियोगी एकत्र हो गये थे। मिस्टर क्लार्क मी सोफिया के साथ अपनी मोटर पर आ बैठे। रास्ते में जॉन सेवक ने कहा-"कहीं राजा साहब ने इस अंधे की फरियाद सुन ली, तो उनके हाथ-पाँव फूल जायेंगे।"