पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/१११

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"पशुओं का मारण करने में क्या है।" नत्थू चाचा मुँह बना कर बोले।

"तो चाचा, बाबू मनोहर दास के कुत्ते का मारण आप कर दीजिये। बड़ा कष्ट है उससे। साला रात भर भूँकता है, नींद हराम कर देता है। जो कुछ दस-बीस रुपये खर्च होंगे, वह हम दे देंगे।"

"अबे क्या तुमने मुझे कुत्ता-मार समझा है। कुत्ता मारना जल्लाद का काम है। गधा कहीं का।"

"जल्लाद तो लाठी या बन्दूक से मारता है। आप मन्त्र-बल से मारेंगे। किसी को पता भी न होगा कि किसने मरवा दिया।"

"कुचिला खिला देना, मर जायगा। कुत्ते-बिल्लयों के लिए मारण नहीं किया जाता।"

"कुचिला खिला दें! यह क्या हमें नहीं मालूम है। अच्छी तरकीब बताई, जिसमें बाबू मनोहरदास हम पर दावा कर दें।"

"उन्हें पता चलेगा कि तुमने खिलाया है तब तो दावा करेंगे।"

"पता तो तुरन्त चल जायगा। हमसे उस कुत्ते के पीछे बाबू साहब से कहा-सुनी हो चुकी हैं। वह तुरन्त ताड़ जायँगे कि इन्हीं का काम है।"

"परन्तु प्रमाण क्या देंगे?"

"प्रमाण भी उत्पन्न कर लेंगे। अपने दो चार पिट्ठुओं से कह देंगे, वे गवाही देंगे कि हमारे सामने श्यामनारायण ने इसे मिठाई खिलाई थी, तभी से कुत्ते को हालत खराब हो गई।"

"खैर भई तुम जानो। हम इस मामले में कुछ नहीं कर सकते।"

( २ )

मुहल्ले के नवयुवकों ने परस्पर परामर्श किया कि नत्थू चाचा बड़े शाक्त और तान्त्रिक बनते हैं, इन्हें किसी युक्ति से जेर करना चाहिए।

एक दिन एक व्यक्ति नत्थू चाचा के यहाँ पहुँचा। नत्थू चाचा से वह बोला---"आप वशीकरण तो कर सकते हैं।"