पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/१३८

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सारी आशाओं पर वज्रपात हो गया। वृद्धापे के लिए उसने जो हवाई किले बना रक्खे थे वे सब शून्य में विलीन हो गये और निराशा का भयानक समुद्र सन्मुख लहराने लगा और उधर---अट्टहास, हर्षोल्लास, नवीन उत्साह, उज्ज्वल भविष्य।

राम मर गया, अपने माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा, उनकी जन्म भर की थाती।

इधर श्यामसिंह और उनकी पत्नी का अत्यन्त करुणापूर्ण रुदन, जिसे सुनकर पत्थर भी द्रवित हुआ था, हो रहा था---और उधर जलसे में कोकिल कंठ का गान---तबले की थाप के साथ हंसी-मजाक का अट्ट हास चल रहा था।

और लोग इसी को संसार कहते हैं।