पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/१४९

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करना चाहिए, तो मेरा खयाल है इसका प्रभाव जरमन जनता का उत्साह बढ़ाने में विजयों के संवाद से भी अधिक अच्छा पड़ेगा।

गोबिल्स---यह बिल्कुल ठीक है। सर्व साधारण को बेवकूफ बनाने की कला खूब जानते हैं।

हिटलर---तो बस जाओ! जैसा मैंने कहा है वैसा करो। मैं रूसी मोरचे से हट नहीं सकता, केवल इतना कह देने से जनता शान्त हो जायगी और मेरी अनुपस्थिति से निराशा तथा सन्देह उत्पन्न न होगा।

[गोरिंग तथा गोबिल्स हिटलर के केम्प के बाहर आकर ]

गोरिङ्ग--वाकई फ्यूहरर लोगों को बेवकूफ बनाने की कला खूब जानता है।

गोबिल्स---मेरा भी खयाल यही हैं।

गोरिङ्ग---खयाल! प्रमाण रहते हुए खयाल नहीं विश्वास होना चाहिए।

गोबिल्स---प्रमाण कैसा?

गोरिङ्ग--हम दोनों बेवकूफ बने चले जा रहे हैं। इससे अधिक प्रमाण और क्या होगा।

स्थान---बर्लिन का एक घर ( तीन पुरुष तथा एक स्त्री बैठे वार्तालाप कर रहे हैं )

स्त्री--अब तो बर्लिन पर शत्रु के हवाई हमले प्रति दिन भयानक होते जा रहे हैं।

पुरुष---"उस दिन अँग्रेजी ब्राडकास्ट सुना था?"

दूसरा पुरुष---( अोठों पर उंगली रख कर ) चुप! दीवार के भी कान होते हैं।

स्त्री---( धीमें स्वर में ) मैंने सुना था। कह रहा था कि अब जरमनी पर ऐसे तीव्र हवाई हमले होंगे कि जरमनी-निवासी 'दया करो! क्षमा करो!' की चीत्कार मचाने लगेंगे।