पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/१६६

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सम्पत्तिलाल बोले---"आप लोगों के लिए तो जा ही रहा हूँ अन्यथा मुझे अपने लिए क्या आवश्यकता है!"

"आपको किस बात की कमी है। आप तो जो कुछ करेंगे परोपकार के लिए ही करेंगे।"

"परोपकार और देश-सेवा----यही मेरे दो लक्ष्य हैं।"

परन्तु जब चुनाव की नामावली प्रकाशित हुई तो उसमें सम्पत्ति- लाल जी का नाम न था। सम्पत्तिलाल तो मानों आकाश से गिरे।

काँग्रेस वालों से पूछा---"यह क्या गड़बड़ हुआ?"

"क्या बतावें! कुछ समझ में नहीं आता।"

"आप लोग तो कह रहे थे कि आपका नाम आ जायगा।"

"अजी कुछ कहा नहीं जाता। सब मामला तय हो गया था, न जाने बीच में क्या घपला हो गया।"

भूतपूर्व रायबहादुर साहब की सब आशाएँ मिट्टी में मिल गईं। काँग्रेसियों का आना-जाना भी कम हो गया। काँग्रेसियों के सम्बन्ध में भूतपूर्व रायसाहब की राय अब बहुत अधिक अच्छी नहीं है।

सुना गया है कि सम्पत्तिलाल जी आजकल अपना समय राम-भजन में अधिक व्यतीत करते हैं।