पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/१९८

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विजय-दशमी

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पं० माताप्रसाद अनाज के एक बड़े व्यापारी हैं। लखपती कहलाते हैं । ठाठ भी लखपतियों जैसे हैं। आपका एक राम-मन्दिर भी है और उसकी गिनती नगर के अच्छे मन्दिरों में है ।

माताप्रसाद सबेरे दो घण्टे और सन्ध्या समय लगभग दो घण्टे इस मन्दिर में पूजन-पाठ तथा रामभजन किया करते हैं ।

लोगों का कथन है कि पण्डित जी बड़े उदार, सच्चे तथा सौम्य आदमी हैं । जिस समय अनाज का देशव्यापी संकट चल रहा था और ब्लेक-मार्केट करने वाले अनाज के व्यापारी जनता को दाने-दाने के लिए तरसा रहे थे, उस समय केवल पण्डित जी ने अपने बाजार से विद्रोह करके जनता को यथासम्भव अन्न दिया था। उनके राम-मन्दिर में नित्य पन्द्रह आदमियों को पका हुआ भोजन आमान्न मिलता है। इसके अतिरिक्त पण्डित जी अन्य लोकोपारी कार्यों के लिए भी यथाशक्ति दान देते रहते हैं।

पण्डित जी का परिवार छोटा है । कुल पांच व्यक्ति उनके परिवार में हैं । वह स्वयं, भ्राता, पत्नी, एक कन्या तथा एक पुत्र ।

पण्डित जी का नियम था कि पाँच बजे दुकान से उठ आते थे । घर आकर शौच-स्थान करते थे। तत्पश्चात् मन्दिर में पहुंच जाते थे।

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