पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/६७

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कार्य-कुशलता

( १ )

शहर में रिश्वत का बाजार गर्म था। कोतवालसाहब तथा इन्चार्ज कोतवाली खूब चांदी काट रहे थे। इसी कारण शहर में अनेक प्रकार के अपराध बढ़ रहे थे। स्थान-स्थान पर जुए के अड्डे स्थापित थे । इन अड्डों से पुलीस को मासिक आय होती थी। बदमाश तथा गुण्डे बात पड़ने पर अलानिया कहते थे कि पुलीस तो हमारो नौकर है। संध्या का समय था । नगर के एक बाजार में, जहाँ भले आदमियों के मध्य में वेश्याओं के घर भी थे खूब चहल पहल थी। जहाँ वेश्याएं" होती हैं वहां गुण्डे बदमाश भी आते जाते रहते हैं । अतः इस समय वहां शहर का एक प्रसिद्ध गुण्डा अपने दो अनुचरों के साथ मंडला रहा था। कभी वह किसी तम्बोली को दुकान पर खड़ा हो जाता, कभी किसी वेश्या के मकान के सामने खड़ा होकर वेश्या से इशारेबाजी करता, कभी किसी दुकानदार से गप-शप करने लगता था । इस समय वह एक तम्बोली की दुकान पर खड़ा हुआ पान बनवा रहा था। इसी समय उस हल्के के चीफ साहब उधर से निकलें । गुण्डे को देख कर वह उसके पास पहुंचे और बोले— क्या अकेले ही अकेले पान खायोगे गुरू!

गुरू ने घूमकर चीफ साहब की तरफ देखा और कहा—"आओ! देना भई चीफ साहब को चार पान और एक सिगरट।कहाँ चले ?" ५८