पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/७०

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डी० एस० पी० तक सब रिश्वतखोर हैं। मेरा मतलब है कि ज्यादा तादाद में रिश्वतखोर हैं। बहुत कम आदमी ऐसे हैं जो रिश्वत नहीं लेते।"

"हुजूर तो खुद ही सब बात जानते हैं, हुजूर को हम क्या बतावेंगे। लेकिन अगर हुजूर पुलीस की मदद से कोई कार्यवाई करना चाहेंगे तो ठीक न होगा क्योंकि पुलीस का शायद ही कोई आदमी इस काबिल निकले कि जिसके भरोसे हुजूर कोई काम करके कामयाबी हासिल कर सके।"

"यह बात हम भी समझते हैं। देखा जायगा।"

"गुन्डे अलानिया भले आदमियों की आबरू लेने को तैयार हो जाते हैं और पुलीस खड़ी देखा करती है। अभी परसों का मामला है। शहर का एक गुन्डा जिसे छन्नो गुरू कहते हैं एक तवायफ के कमरे पर चढ़ गया और उसे मारते मारते बेदम कर दिया। उसने चौकी पर रिपोर्ट की तो चीफ साहब ने उलटे उसी पर इल्जाम रख कर उससे पचास रुपये ले लिए। दूसरे दिन वह बेचारी यहाँ से भाग गई। यह हालत है। हालांकि वह रंडी थी लेकिन हुजूर, जुल्म तो किसी पर भी न होना चाहिए, चाहे वह रंडी हो या शरीफ ! इसी तरह गुन्डों के हौसले बढ़ जाते हैं और वह शरीफों पर भी हाथ साफ करने लगते हैं।"

"बिल्कुल दुरुस्त है। हम सब इन्तजाम जल्दी ही कर देंगे। आप इतमीनान रक्खें।"

"हुजूर से ऐसी ही उम्मीद है।"

"लेकिन इस बात का जिक्र किसी से मत कीजिएगा।"

"ऐसा कभी हो सकता है। हुजूर की बात किसी से भी नहीं कही जायगी।"

"तो बस आप खातिर जमा रखिए हम अच्छी तरह इन्तजाम करेंगे हम अपनी बदनामी नहीं बरदाश्त कर सकते।"

"बेशक ! कोई भी नेक आदमी अपनी बदनामी बरदाश्त न करेगा। अच्छा अब इजाजत हो--हुजूर का बहुत वक्त लिया।"