पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/८९

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दूसरे दिन रायबहादुर साहब ने देखा कि उनके दिये हुए सब उप- हार वापस आगये, उनके साथ में एक चिट भी थी। उसमें केवल इतना लिखा था---"अब मुझ से मिलने का प्रयत्न मत करना!" ईसाबेला।

उस दिन संध्या समय रायबहादुर साहब ने मित्र-मण्डली में कहा---"मैं शर्त हार गया! निस्सन्देह रुपये से सब चीजें प्राप्त नहीं हो सकतीं।"