पृष्ठ:रघुवंश.djvu/१३३

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रघुवंश।

नींद खुल गई और उसने इस तरह पलँग को तत्काल ही छोड़ दिया जिस तरह कि उन्मत्त राजहंसों के मधुर शब्द सुन कर जागा हुआ सुप्रतीक नामक सुरगज गङ्गा के रेतीले तट को छोड़ देता है।

पलँग से उठ कर उस ललित-लोचन अजकुमार ने,शास्त्र की रीति से,सन्ध्यावन्दन आदि सारे प्रातःकालीन कृत्य किये । तदनन्तर उसके निपुण नौकरों ने उसका,उस अवसर के योग्य,शृङ्गार किया-उसे अच्छे अच्छे कपड़े और गहने पहनाये। इस प्रकार खूब सज कर,उसने,स्वयंवर में आये हुए राजाओं की सभा में जाकर बैठने के लिए,अपने डेरे से प्रस्थान किया।