पृष्ठ:रघुवंश.djvu/१४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९५
छठा सर्ग।


हुआ। यह राजा दक्षिण दिशा का स्वामी है; और, इस दिशा को रत्नों से परिपूर्ण समुद्र ने चारों तरफ से घेर रक्खा है। इससे वह दक्षिण दिशा की कमर में पड़े हुए कमरपट्टे के समान मालूम होता है। मेरी सम्मति है कि इस महाकुलीन राजा के साथ विधिपूर्वक विवाह करके, गरुई पृथ्वी की तरह, तू भी दक्षिण दिशा की सौत बनने का सौभाग्य प्राप्त कर। मलयाचल की सारी भूमि एक मात्र इसी राजा के अधिकार में है। यह भूमि इतनी रमणीय है कि मुझसे इसकी प्रशंसा नहीं हो सकती। वह देखने ही लायक है। सुपारी के पेड़ों पर पान की बेलें वहाँ इतनी घनी छाई हुई हैं कि उन्होंने पेड़ों को बिलकुल ही छिपा दिया है। चन्दन के पेड़ों से वहाँ इलायची की लतायें इस तरह लिपटी हुई हैं कि वे उनसे किसी तरह अलग ही नहीं की जा सकतीं। तमाल के पत्ते, सब कहीं, वहाँ इस तरह फैले हुए हैं जैसे किसी ने हरे हरे कालीन बिछा दिये हो। तू इस राजा के गले में जयमाल डाल कर, मलयाचल के ऐसे शोभामय और सुखदायक केलि- कानन में, नित नया विहार किया कर। मेरी बात मान ले। अब देरी मत कर। प्रसन्नतापूर्वक इसे माला पहना दे। इस राजा के शरीर की कान्ति नीले कमल के समान साँवली है, और तेरे शरीर की कान्ति गोरोचना के समान गोरी। इस कारण, भगवान् करे, तुम दोनों का सम्बन्ध काले मेघ और चमकती हुई गोरी बिजली के समान एक दूसरे की शोभा को बढ़ावे!"

इस प्रकार सुनन्दा ने यद्यपि बहुत कुछ लोभ दिखाया और बहुत कुछ समझाया बुझाया, तथापि उसकी सीख को राजा भोज की बहन के हृदय के भीतर धंसने के लिए तिल भर भी जगह न मिली। उसका वहाँ प्रवेश ही न हो सका। इन्दुमती पर सुनन्दा की विकालत का कुछ भी असर न हुआ। सूर्यास्त होने पर, जिस समय कमल का फूल अपनी पंखुड़ियों को समेट कर बन्द हो जाता है उस समय, हज़ार प्रयत्न करने पर भी, क्या चन्द्रमा की किरण का भी प्रवेश उसके भीतर हो सकता है ?

इसी तरह और भी कितने ही राजाओं को उस राजकुमारी ने देखा भाला; पर उनमें से एक भी उसे पसन्द न आया। एक एक को देखती और निराशा के समुद्र में डुबोती हुई वह आगे बढ़ती ही गई। हाथ मैं लालटेन लेकर जब कोई रात को किसी चौड़ी सड़क पर चलता है तब