पृष्ठ:रघुवंश.djvu/६९

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रघुवंश।

रहना उन्होंने उचित समझा । इसीसे महामुनि वशिष्ठ ने उसे पत्तों से छाई हुई एक पर्णशाला में जाकर सोने को कहा । मुनि की आज्ञा से राजा ने,अपनी रानी सुदक्षिणा सहित,उस पर्णकुटीर में, कुशों की शय्या पर,शयन किया। प्रातःकाल मुनिवर के शिष्यों के वेद-घोष को सुन कर राजा ने जाना कि निशावसान होगया । अतएव वह शय्या से उठ बैठा ।