पृष्ठ:रघुवंश.djvu/८

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कालिदास का समय।


कविता कालिदास की कविता से मिलती जुलती है। अतएव अध्यापक मुग्धानलाचार्य का अनुमान है कि कालिदास ईसा की पाँचवौँ शताब्दी के कवि हैं। विन्सेंट स्मिथ साहब भी कालिदास को इतना ही पुराना मानते हैं, अधिक नहीं।

डाकर भाऊ दाजी ने बहुत कुछ भवति न भवति करने के बाद यह अनुमान किया है कि उज्जैन के अधीश्वर हर्ष विक्रमादित्य के द्वारा काश्मीर पर शासन करने के लिए भेजे गये मातृगुप्त ही का दूसरा नाम कालिदास था। अतएव उनका स्थिति-काल ईसा की छठी सदी है। दक्षिण के श्रीयुत पण्डित के० बी० पाठक ने भी कालिदास का यही समय निश्चित किया है । डाक्टर फ्लीट, डाक्टर फगु सन, मिस्टर आर० सी० दत्त और पण्डित हरप्रसाद शास्त्री भी इस निश्चय या अनुमान .. के पृष्ठपोषक हैं।

इसी तरह और भी कितने ही विद्वानों ने कालिदास के विषय में लेख लिखे हैं और अपनी तर्कना के अनुसार अपना अपना निश्चय सर्व- साधारण के सम्मुख रक्खा है। कालिदास के समय के विषय में कोई ऐतिहासिक आधार तो है नहीं। उनके काव्यों की भाषा प्रणाली, उनमें जिन ऐतिहासिक पुरुषों का उल्लेख है उनके स्थिति-समय, और जिन पार- वर्ती कवियों ने कालिदास के ग्रंथों के हवाले या उनसे अवतरण दिये हैं उनके जीवनकाल के आधार पर ही कालिदास के समय का निर्णय विद्वानों को करना पड़ता है। इसमें अनुमान ही की मात्रा अधिक रहती है। अतएव जब तक और कोई पक्का प्रमाण नहीं मिलता, अथवा जब तक किसी का अनुमान औरों से अधिक युक्ति-सङ्गत नहीं होता, तब तक विद्वज्जन इस तरह के अनुमानों से भी तथ्य संग्रह करना अनुचित नहीं समझते।

दो तीन वर्ष पहले, विशेष करके १६०६ ईसवी में, लन्दन की रायल एशियाटिक सोसायटी के जर्नल में डाकूर हानले, मिस्टर विन्सेन्ट स्मिथ आदि कई विद्वानों ने कालिदास के स्थिति-काल के सम्बन्ध में कई बड़े ही गवेषणा-पूर्ण लेख लिखे। इन लेखों में कुछ नई युक्तियाँ दिखाई गई। डाकर हानले आदि ने और बातों के सिवा ग्यता से।