पृष्ठ:रज़ीया बेगम.djvu/३४

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२६
(चौथा
रज़ीयाबेगम।

काम किया, जो अमृत मुर्दे के साथ करता है।

फिर रज़ीया बेगम ने कहा, 'सौसन ! इस बात की मुबारक- बादी तो मैं तुझे देही चुकी हूँ कि, 'तेरे सोचने के मुताबिक उस जवांमद उस्ताद का नाम 'याकूब' ही निकला; मगर आज घजीर आज़म मुझे इस बात की पूरी ख़बर देगा कि 'दर असल, ये दोनों हैं कौन !' क्योंकि तेरी इस राय के साथ मैं भी इत्तिफ़ाक करती हूं कि,--' ऐसे खूबरू जवांमद ज़रूर किसी आली खान्दान के होंगे, जिन्हें बदकिस्मती ने गुलामी की बेड़ी पहनाई होगी।"