पृष्ठ:रत्नाकर.djvu/१५५

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विविध यसन बहुमोल लोल लोचनहि छकित कर । झीन पीन रंगीन स्वेत सादे फुलवर बर ॥ पाट टसर सन सूत ऊन सौं बिरचित नीके । चारु सचिक्कन पोत मनहुँ गाभा कदली के ॥८६॥ साँतिपूर मदरास नागपुर की कल धोती। द्रविण पाटमय पाढ़ निपुनता की जनु सोती । ढाके की मलमल सु डोरिया राधानगरी । बिष्नुपूर मुरसिहावाद पाटंबर पगरी ॥८॥ आजमगढ़ के चमचमात गलता अरु संगी। कासी के बहुमूल्य बसन बहु बिधि बहुरंगी ॥ अतलस चिनियापोत वासकट तास ताफता। मरू मसरू धूपछाँह कमरखाब बाफता ॥८८॥ सुघर जामदानी वर टाँड़े की टिकसारी। चिकन लखनऊ रचित बेल अरु बूटनवारी ॥ चारु चंदेली की चादर मंदील मनोहर । जैपुर साँगानीर चीर अति सुंदर ॥८९॥ ललित लायचा दरियाई च्यौली पंजाबी । तिब्बत के संबर छाल रूसी संजाबी ॥ साल दुसाले कलित कृपारामी कस्मीरी। जिनके नेरै जान सीत नहिँ सिसिर समीरी ॥१०॥