पृष्ठ:रत्नाकर.djvu/१६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( ३ ) गुप्त बातें तथा विचार भी वे हमसे स्वच्छ हृदय से कह देते थे और साहित्यिक विषयों में तो हमें सदा अपने साथ रखने का संकल्प रखते थे। ऐसे एक मित्र की प्रथम वार्षिक जयंती पर उनके काव्यों का संग्रह प्रस्तुत करने में जो कुछ हमसे बन पड़ा है, उसके द्वारा हम अपना मित्र-ऋण अंशतः चुकाना चाहते हैं और यह श्रद्धांजलि उनकी स्वर्गीय आत्मा को अर्पित करते हैं। श्यामसुंदरदास F. (TT)