पृष्ठ:रत्नाकर.djvu/५३७

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देवी दुरगावती कराल कालिका सी कोपि, काल-बालिका सी रन तारी मारि पहुंची। कहै रतनाकर जहाँ ही भीर भारी परी, तमकि तहाँ ही किलकारी मारि पहुँची ॥ जब सफ आसफ की अमित अपार महा, ताहि गहिबे का सेन सारी मारि पहुँची। फूटी आँखिहूँ ना तऊ म्लेच्छनि छटारी चही, सरग-अटारी पै कटारी मारि पहुँची ॥८॥