पृष्ठ:रवीन्द्र-कविता-कानन.pdf/११०

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रवीन्द्र-कविता-कानन जेनो तादेर नदी तारे से जे से जे ताहार पेतेछे आँधार फाँद तले - तले निरिबिली हेसे चले खिलि खिली। के पारे राखिते धरे छुटी छुटी जाय सरे। सदा खेले लुको चुरी, पाये पाये बोजे तुड़ी। .

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नूतन पाथे ताहा पाहाड़ नदी सेथा जतो सेथाय तारा सेथाय तादेर तादेर तादेर तारा सदाई तारा आने तारा बनेर शिला आछे राशि राशि ठेलि चले हासि हासि। यदि थाके पथ जुड़े, हेसे जाय बेके चुरे। बास करे शि - तोला बुनो गाछ दाड़ी-झोला। हरिण रोवाय भरा कारेव देय ना धरा। मानुष तरो शरीर कठिन बड़ो। चोक दुटो नय सोजा, कथा नाहीं जाय बोझा, पाहाडेर छेले मेये काज करे गान गेये। सारा दिन मान खेटे, बोझा भरा काठ केटे। चड़िया शिखर परे हरिण शिकार करे।

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नदी ततोइ जतो आगे आगे चले साथी जुटे दले दले।