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पृष्ठ:रसकलस.djvu/२४०

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पृष्ठ १८७ १८७ १८७-१८९ १८८ १८८ १८६ १८६ दिपय बहिर गिनी लखी के कर्म-मडन शिक्षा उपालंभ परिहास दूती दूती के प्रकार- (उचना, मध्यमा, अधमा) दूती के छः कर्म-विनय स्तुति निंदा प्रबोध संघहन विरहनिवेदन स्वयंदूती अन्य उहीपन विभाव-पवन वन उपवन पुष्प पराग चद्र चाँदनी पट् ऋतु-वसत ग्रीष्म १६० से १६६ १६६-१६७ १९७ १९७ १९७ १९५ १९८ १९८ १६८-१९९ १९६-२०२ २०२-२०६ २०६-२०९ पावस