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पृष्ठ:रसकलस.djvu/३४१

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रसकलस RA पद-तल दोहा- काम-पताका सम रुचिर सरसिज सरिस ललाम । ललना को पग-तल अहै चंदन-दल-अभिराम ॥ १॥ अनुरागी - जन - उरन मैं सरस - राग भरि देति । तिय-पग-तल की ललिमा मुख-लाली रखि लेति ॥ २॥