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पृष्ठ:रसकलस.djvu/३९७

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उसकलस १४८ मुख खोलि उमकि झरोखे 'हरिऔध' झॉके लोक-सुदरी को मंजु-रूप ऐसो खिलिगो। नीलिमा-गगन मैं मगन है गयो कलंक आनन-उजास मैं मयक - बिंब मिलिगो ॥१॥ अभिसारिका प्रियतम-समागम-निमित्त संकेत-स्थल में गमन करनेवाली अथवा प्यारे को त्रुलानेवाली नायिका को अभिसारिका कहते हैं। उदाहरण मुग्धा दोहा- परग परग पै बहु अरति खटके पात सकाति ।। चली जाति पिय पास तिय सेद - सनी सकुचाति ||१|| पथ चलत विचलित भई कंपित भो सव गात । भये चौगुने - चपल चख चित भो चलदल - पात ||२|| मध्या दोहा- पिय पहँ जात लजाति बहु लंक लचे वल खाति । तजति उतायल भाव तिय जो पायल बजि जाति ॥१॥ सोच सकोचन करन ते दली मली दिखराति । लली अली ले गलिन है केलि - थली मैं जाति ॥२॥ प्रौढ़ा दोहा- चली कत ढिग कामिनी सफल करन अभिसार । सुर • पुर - तिय मोहति निरखि रति-मोहक सिंगार ॥११॥