पृष्ठ:रसकलस.djvu/४८७

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रसकलस २४० - उदाहरण दोहा- सजि सजि सुमन - समूह सों वनि बसंत की वेलि । पुलकि पुलकि ललना करति निज - लालन ते केलि ।। १ ।। १३-तपन प्रियतम के वियोग में कामजनित उत्ताप को तपन कहते हैं। उदाहरण दोहा- सीरे सोरे लेप सब वनत दीप के नेह। नव बियोग - तप - ताप ने तवा भई तिय - देह ।।१।। कबहुँ रुकत कबहूँ वहत कबहूँ होत अथाह । सोच सकोचन मैं परो लोचन - वारि - प्रवाह ।।२।। १४-मुग्धता ज्ञात पदार्थ को मो प्रियतम के सामने अज्ञात समान पूंछना मुग्धता कहलाती है। उदाहरण दोहा- पिय बतरावहु बोलिकै मधुर अमी से बैन । खिले कमल से हैं किधौं मुंदे कमल से नन ॥ १ ॥ अस जनात लाली गई अवनी-तल पै पोति । कत लालन मो पग परत लाल चाँदनी होति ॥ २॥ १५-कुतूहल रमणीय वस्तु के देखने के लिये चचल होना कुतूहल कहलाता है ।