पृष्ठ:रसकलस.djvu/४८९

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रसकलस २४२ कौन नहीं कामुक बनत कौन सकत चित रोकि । हास - भरी - नवलान को औचक हास - बिलोकि ॥ २ ॥ १८-चकित प्रियतम के सामने अकारण डरना और घबराना चकित कहाता है। उदाहरण दोहा- कछु सकाइ सकुचाइ कछु कछु अकुलाइ अकाल । चकित बनावति काहि नहिं चकित - बिलोचन - बाल ।। १ ।। इत उत चितवति चौंकि बहु भरि लोयन मैं भाव । चकित बनावत लाल को चकित - वाल को चाव ॥२॥ बोधकहाव दोहा- ललना लालन को चितै दीन्हें बार वगारि । लालन निज - मुख पै लियो कर · नीलांबर डारि ॥१॥