पृष्ठ:रसिकप्रिया.djvu/२८१

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प्रतीकानुक्रमणी २८७ केसव नैननि ।८।१४.सू खेलत.बोलत ।६।३६ केसव प्रोषितप्रेयसी ७।३ खेलत हे हरि ।६।४६ केसव फूलि नची ।३।२१ खेल न हांसी ।८।३६ के सवराइ की सौंहैं ।३।७३ खोट तुरो ।१२।१८ केसवराय बुलावत हैं ।१३।१६ गति गजराज ।१४।२५ केसव रूठि रह्यो ।१।२६ गर्ब, ब्यसन ।१०।३२ केस व सुधि बुधि ।।४१ गर्व हर्ष आबेग ।६।१३ केसव सूधे बिलोचन ।२।५ गाहत सिंधु १६।५ केसीदास कौन बड़ी ।१३।१८ गिरि गिरि उठि ।१४।१४ केसौदास घर घर ।५।१८ गूढ़ अगूढ़ 1८।४३ केसौदास दिनराति ।१०।२२ गूढ़ भाव को ।६।५४ केसीदास नेहदसा ।४१६ गेह की नेह ।१२।२८ केसौदास न्हान ।१६७ गोप बड़े बड़े ७।३२ केसौदास बाल ।१४।३४ घननि की घोर १०२७ केसौदास लाख १५॥ घेरि घने घन १५७ केसौदास सकल 1८१८ घेरी जिनि मोहिं ।१२।१४ केसौदास सबिलास ।३।४० घोरि घनो घनसार ८२८ केही कपोत ।१४१२२ चंचल न हूजै ।३।२३ कैसे के मि.लय ।।१५ चंद को सो ३:३४ कोकनि की कारिका ।१०।२५ चंद चढ़ाइ ७.३० कोकिल केकी ।११।१० चंद नहीं बिषकंद ८.३१ कोपसील कोबिद ।३८ चंदन बिटप १७:११ कोमल अमल दल ।१०८ चंपे की सी १४/२० कोमल कमल ।१२।२३ चकित चित्त ७.२६ सू कोमल बिमल मन ।६।२५ चपला न चमकति ।१०१२१ कौन केन ।११।६ चपला पट मोर ।६।२६ कौनहुँ हेत ७७ चहूँ ओर चितवै ।७।२६ सू. कौनहूँ तोष ।१२।२४ चित चोप ।। कौने रसै विहँसै ।६।४० चितवौ चितबाएँ ।३।६१ चोरि चोरि चित । को लौं पीहौ ।४।१६ खंजन हैं मनरंजन ८।२२ चोली को सो ७६ छबि सों छबीली ।६।२८. खरे उपचार 11४६ खान पान ।११।१२ सू छार-गंध-जुत ॥३१६ खारिक खात न ।१४।३६ छुटै न छूटाएँ ।१२।२५