पृष्ठ:रस मीमांसा.pdf/२०६

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भावों का वर्गीकरण स्थायी पहले कह आए हैं कि भावों के वर्गीकरण का प्रयत्न मनोविज्ञानियों ने इधर छोड़ सा दिया है। पर काव्य के प्रयोजन के लिये कोई ऐसा वर्ग-विधान अवश्य होना चाहिए जिसके आधार पर रस-विरोध तथा विरुद्ध-अविरुद्ध संचारियों की व्याख्या हो सके। भाव के लक्षण में कहा जा चुका है कि उसमें अनुभूति संश्लिष्ट रहती हैं। अनुभूति दो प्रकार की हो सकती है. सुखात्मक और दुःखात्मक। इसी के अनुसार भावों के भी दो वर्ग किए जा सकते हैं-सुखात्मक और दुःखात्मक। प्रेम, उत्साह, श्रद्धा, भक्ति, औत्सुक्य, गर्व आदि के साथ सुखात्मक अनुभूति लगी रहती हैं इससे ये सुखात्मक हैं। शोक, क्रोध, भय, घृणा, लज्जा, उग्रता, अमर्ष, असूया, विषाद इत्यादि दुःखात्मक हैं। नीचे आठो भाव दोनों वर्गों में विभक्त करके दिए जाते हैं