पृष्ठ:रस मीमांसा.pdf/२४४

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भावां का वर्गीकरण ૨૨૬ द्वेष के पात्र को देखते ही उसके ऊपर कटु व्यंग्य छोड़ने लगना इत्यादि इत्यादि । श्रृंगार के संचारी चपलता का यह बहुत अच्छा उदाहरण है वह सॉकरी कुंज की खोरी अचानक राधिका माधव भेट भई । मुसक्यानि भली अँचरा को अली त्रिवली की वली पर कीठि गई। झहराय, झुकाय, रिसाय ‘ममारख' बाँसुरिया हँसि छीन ली। भृकुटी मटकाय गुपाल के गाल में श्राँगुरी ग्वालि गड़ाय गई । | [ काव्यप्रभाकर, ५-३७८।] जिससे घृणा या द्वष हो उसे देखकर भला बुरा या अप्रिय वचन कहने लगना भी ‘चपलता' ही के अंतर्गत माना जायगा, पर तभी तक जब तक उग्नता न प्रकट होगी । यदि कटु वचन उग्रता लिए होगा तो वह उग्रता का सूचक होगा चपलता का नहीं। रामचरितमानस में लक्ष्मण और परशुराम के संवाद के समय लक्ष्मण के प्रायः सब वचन चपलता के उदाहरण हैं। केवल कहीं कहीं उग्रता व्यंजित होती है, जैसे भृगुकुल समुझि, जनेउ त्रिलोकी । जो कछु कहेडु सहेर्दै रिस रोकी ॥ ‘मारने के लिये हाथ खुजलाना', 'बिना बोले रहा न जाना आदि वाक्य 'चपलता' ही सूचित करते हैं। शारीरिक अवस्थाएँ शारीरिक अवस्थाओं के संबंध में कुछ विशेष नहीं कहना हैं । केवल इतनी बात फिर से कह देना चाहता हूँ कि भाव द्वारा समुपस्थित शारीरिक अवस्था का प्रण संचारियों के अंतर्गत इसलिये हुआ है कि उनसे भी भाव की तीव्रता या व्यापकता के अनुभव में सहायता मिलती है। जो शारीरिक अवस्था किसी