पृष्ठ:रस मीमांसा.pdf/३१८

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प्रस्तुत रूप-विधान के लिये पुरानी से भिन्न लगनेवाली बातें खड़ी करना ; रैल, तार, इवाई जहाज, क्लब, सिनेमा इत्यादि का उल्लेख कर देना ही अधुनिक कविता करना नहीं कहा जा सकता । आधुनिक सभ्यता ने जो नई नई वस्तुएँ प्रस्तुत की हैं, उनके संबंध में हमारा अपना विचार तो यही है कि उनके वर्णने में स्वतः कोई रागात्मक प्रभाव उत्पन्न करने की शक्ति कई शताब्दियों तक न आएगी । यह हो सकता है कि चलित जीवन के साथ उनके घनिष्ठता के साथ । मिलते जाने से परिस्थिति के चित्रों में वे कभी कभी दिखाई पड़ा करेंगी, पर प्रायः उदासीन रहेंगी, रस-प्रक्रिया में कोई योग न देंगी। इन वस्तुओं का काव्य में बहुत दिनों तक वही स्थान रहेगा जो हमारे यहाँ के आचार्यों ने सरस वाक्यों के भीतर नीरस वाक्यों का बताया है। | अँगरेजी कविता में रेलगाड़ी और अगिनवोट की पहले पहल चर्चा करनेवाले कवि वड्सवर्थ थे। इनको कविता के भीतर घुसने का पास उन्होंने कुछ हिचकते हुए, अपने मन को बहुत कुछ समझाते बुझाते हुए दिया था “हे पृथ्वी और समुद्र पर की गति और साधन ! तुम हमारी पुरानी रस-भावना के साथ मेल नहीं खाते हो, पर अब यह न होगा कि तुम इस कारण अनुपयुक्त समझे जाव। तुम्हारी उपस्थिति चाहे प्रकृति की रमणीयता को कितना ही भ्रष्ट करे पर मन को भविष्य के हेर-फेर का ऐसा आगम ज्ञान, दृष्टि की १ [ रसवत्पद्यान्तर्गतनीरसपदानामिव पद्यरसेन प्रबन्धरलेनैव तेषां रसवत्ताङ्गीकारात् । -साहित्यदर्पण, प्रथम परिच्छेद । ]