पृष्ठ:रस मीमांसा.pdf/३४०

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प्रस्तुत हप-विधान ३३७ में इसका कुछ आभास दिया गया था। सन् १८८४ में वाट्स हंटन ने अँगरेजी के प्रसिद्ध विश्वकोश ( Encyclopaedia Britanica ) मैं 'कविता' पर जो प्रबंध दिया था उसमें उन्होंने काव्य का लक्षण यह लिखा था Absolute poetry is the Concrete and artistic Expression of the human mind in emotional and rhythmical language. | "भावमयी और लयमयी भाषा में मनुष्य के हृदय की मूर्त और कलात्मक व्यंजना ही कविता है।” | संवेदनावाद (Impressionism)—जैसा कि हम ऊपर कह. आए हैं चित्र-विद्या के समान संगीत-कला की पद्धति का भी अवलंबन कविता करती है। इस पक्ष को लेकर भी फ्रांस की आधुनिक कविता में आंदोलन खड़ा हुआ है। बहुत से लोग वह काव्य को संगीत के और निकट लाने के लिये उठ खड़े हुए हैं। वे शब्दों के प्रयोग में उनके अर्थों पर ध्यान देना उतना आवश्यक नहीं बताते जितना उनकी नाद-शक्ति पर। जैसे यदि मधुमक्खियों के समूह के धावें का वर्णन होगा तो ‘भिन भिन’ 'मिन मिन' ऐसी ध्वनिवाले, इवा के बहने या पत्तों के बीच चलने का वर्णन होगा तो 'सर सर' 'मर्मर' ऐसी ध्वनिवाले शब्द इकट्ट किए जायेंगे। हिंदी की पुरानी वीर रस की कविताएँ पढ़नेवाले ‘कड़क',.तड़क', 'चटाक', 'पटाक’ से तथा अमृतध्वनि छंद से अच्छी तरह परिचित होंगे। सूदन कवि के भइधरं घरं, भड़भन्भरं भड़भन्भरं ! तड़तचर ततखरं, कड़कक्कर कड़कक्करं ॥ - - [सुभान-चरित्र, पृष्ठ १८६ ।] से लोगों के घबराने का कारण यही है कि उनमें नाद संवेदन