पृष्ठ:रस मीमांसा.pdf/३८४

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शब्द-शक्ति कुत्ते को पीया मारा पानी पदसमूह वाक्य नहीं हो सकता। क्योंकि पीया' पद ‘कुत्ते को’ और ‘मारा’ पदों के बीच व्यवधान उपस्थित करता है। इसी प्रकार एक शब्द प्रातःकाल कहा जाय और दूसरा सांयकाल तो दोनों में वाक्य न बन सकेगा। | महावाक्य-परस्पर संबद्ध अनेक वाक्यों का समूह महावाक्य " कहलाता है; उदाहरणार्थ, रामायण, रघुवंश इत्यादि। । अर्थ तीन प्रकार का होता है—वाच्य, लक्ष्य और व्यंग्य । | और इन अर्थों का वध करानेवाली शक्तियाँ क्रमशः अभिधा, लक्षण और व्यंजना कहलाती हैं। | अभिधा अभिधा-शब्द के मुख्य अर्थ का बोध ( संकेतसंग्रह ) करानेवाली शक्ति । ‘संकेत' प्रथम और प्रमुख अर्थं को कहते हैं । इस शक्ति की वौद्धिक प्रक्रिया का नाम शक्तग्रह या संकेतग्रह है। संकेतग्रह–संकेतह कई प्रकार से होता है—निरीक्षण और अभ्यास से, जैसे वचे मै; प्रसंग से, उपदेश से इत्यादि इत्यादि । . शब्द चार प्रकार के होते हैं—जातिशब्द, गुणशब्द, क्रियाशब्द और यच्छाशब्द या द्रव्यशब्द। इन शब्दों का बोध अभिधाशक्ति से होता है। जातिशब्द किसी व्यक्ति का सर्वसामान्य नाम होता हैं जो जाति के द्वारा कहा जाता है। उदाहरणार्थ 'गो' शब्द से शक्तिग्रह के द्वारा व्यक्ति का गोत्व जाति में बोध होता है। सर्वसामान्य नामों में जाति का शक्तिग्रह होता हैं, व्यक्ति का नहीं। यदि संकेतग्रह व्यक्तियों का माना जाय तो या तो किसी जाति के सभी स्थानों और सभी समयों में होनेवाले सभी व्यक्तियों का पृथक रूप में एक साथ उसी समय बोध होगा या केवल एक sa