पृष्ठ:रस मीमांसा.pdf/३८८

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शब्द-शक्ति हैं। किंतु इस घर से बड़ी आशा है इस उदाहरण में यद्यपि घर के लोग' में घर पद उपस्थित है तथापि 'घर' पदार्थ का उससे कोई प्रयोजन नहीं। लक्षण-लक्षणा–जहाँ किसी शब्द का मुख्यार्थं अपने स्वरूप का समर्पण करके अन्य या लक्ष्य अर्थ का उपलक्षण मात्र बन जाय वहाँ लक्षण-लक्षणा होती है। जैसे-‘पंजाव वीर है। और ‘गंगा पर घर है' ( जहत्वार्थावृत्ति )। सूचना—उपादान में मुख्यार्थ का अन्वय अंगरूप से लक्ष्यार्थ के साथ होता है पर लक्षण-लक्षणा में नहीं । उदाहरण रूढ़ि में लक्षण-लक्षणा—इस घर से बड़ी प्राशा है। प्रयोजन में ,, ,, -आपका गाउँ बिल्कुल पानी में बसा है। विशेष प्रयोजनवती लक्षण रूढ़ि भी हो सकती है। इसलिये तीसरा भेद भी होना चाहिए। रूढ़ि-प्रयोजनवती लक्षणा आवश्यक जान पड़ती है। जैसे इन मुहावरों में सिर पर क्यों खड़े हो । ‘वह उसके चंगुल में है। ये इसके विशिष्ट उदाहरण हैं । कभी कभी लक्ष्यार्थं एकदम विपरीत अर्थ के रूप में होता है। जैसे जब कोई किसी के द्वारा किए गए अपकार का वर्णन करते हुए इस प्रकार संबोधित करता है-आपने बड़ा उपकार किया, सजनता की हद कर दी ।। लक्ष्यार्थ-अपकार और दुर्जनता ।। व्यंग्याउनका ( अपकार और दुर्जनता का ) अतिशय्य । अब प्रश्न होता है कि उस स्थिति में जब कि किए गए अपकार