पृष्ठ:रस मीमांसा.pdf/३९०

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शब्दशक्ति प्रयोजन में सारोपा लक्षण-लक्षण-‘बृत शायु है’, ‘जल जीवन है', 'वह मनुष्य हमारा दहना हाथ है' इत्यादि, इत्यादि । इन उदाहरणों में आयु, जीवन और हाथ ने अपने मुख्यार्थ का त्याग कर दिया है और इनका श्योग केवल उपलक्षण के रूप में हुआ है। अतः लक्षण-लक्षणा है । घृत, जल और मनुष्य के साथ क्रमशः आयु, जीवन और हाथ का अभेद होने से आरोप है। वह गौ आदमी है उदाहरण सादृश्य पर आश्रित है। सूचना सारोपा लक्षणा रूपकालंकार का बीज होती है। लक्षणा के आधार कई प्रकार के संबंध होते हैं जैसे, कार्यकारण-संबंध, अवयवावयवि-संबंध इत्यादि। ‘कमर में बूता' अवयवावयवि-संबंध का उदाहरण है ।। माध्यवसाना लक्षण-लक्षणा–‘घृत आयु है'-कार्य-कारणसंबंध का उदाहरण हैं। वह पूरा बढ़ई है–तात्क-संबंध का उदाहरण है। ‘चरणों की कृपा से में अवयवावयवि-संबंध है। इत्यादि इत्यादि ।। रूढ़ि में साध्यवसाना उपादान-लक्षणा–‘काले ने काटा ।' प्रयोजन में ,, ,, ,, –“भाले पिल पड़े', ‘लाल पगड़ी आ पहुंची। रूढ़ि में साध्यवसाना लक्षण-लक्षणा-पंजाव वीर है । प्रयोजन में ,, ,, ,, -“उसका घर पानी में है। | १ [ अभिधेयेन संबंधात्सादृश्यात्समवायतः । वैपरीत्यान्क्रियायोगाल्लक्षणा पंचधा मता ॥ -अभिधावृत्तिमातृका, पृष्ठ १७ ।।