पृष्ठ:रस मीमांसा.pdf/३९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
३७८
रस-मीमांसा

________________

३७८ रस-मीमांसा लक्षणा के अन्य भेद जो सादृश्य के आधार पर नहीं होती वह ‘शुद्धा'। जो सादृश्य के आधार पर होती है वह ‘गौणी । सूचना| सादृश्य के अतिरिक्त अन्य संबंधों के आधार पर ‘शुद्धा' होती है, जैसे कार्य-कारण-संबंध, अंगांगिभाव-संबंध इत्यादि । ‘गौणी' का आधार उपचार अर्थात् बलात्कृत अभेद होता है । उपचार= भेद-प्रतीतिस्थगन । उपचार के लिये दो वस्तुओं को अत्यंत भिन्न होना चाहिए । रूढ़ि में गौणी सारोपा उपादान-लक्षणा–( ‘एतानि तैलानि हेमन्ते सुखानि' उदाहरण पर भी वही आपत्ति हो सकती है जो “कर्मणि कुशलः' के संबंध में की गई है; क्योंकि यहाँ “तैलानि का व्युत्पत्ति-निमित्तक अर्थ गृहीत किया जाता है । ) क्या ‘एते राजकुमार गच्छन्ति’ उपादान-लक्षणा का उदाहरण हो सकता है। उपादान-लक्षणा में वाच्यार्थ का उपादान लाक्षणिक पद में होना चाहिए । यहाँ लक्षणा ‘राजकुमारा' ( राजकुमारों से पद में मिलते-जुलते लोगों ) में है ‘एते में नहीं । प्रयोजन में गौणी सारोपा उपादान लक्षणा–सव नवाब ही तो जा रहे हैं, किसको बतायें । १ [ अत्यन्तबिंशकलितयोः शब्दयोः सादृश्यातिशयमच्चिा भेदस्थगनप्रतीतिमात्रम् ।-साहित्यदर्पण, द्वितीय परिच्छेद, पृ० ४७ ।] २ [ ‘साहित्यदर्पण' में 'एते राजकुमार गच्छन्ति प्रयोजनवती उपा दान गौरी सारोपा लक्षणा के उदाहरण में उद्धृत किया गया है। इसका अर्थ यह है कि किसी मंडली में कुछ राजकुमार जा रहे हैं और कुछ उन्हीं