पृष्ठ:रस मीमांसा.pdf/४३०

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शब्द-शक्ति अनुभाव शृंगार-भृकुटिभंग, आलिंगन, चुंबन आदि । हास्य-ऑखों का सुकड़ना, मुख का दाँत का खुलना, आँसू । | करुण-भूपतन, रोदन, विवर्णता, उच्छास, स्तंभ, प्रलाप, देवनिंदा । रौद्रलाल आँखे, भृकुटी चढ़ना, दाँत पीसना, ओंट बवाना, मुंह लाल होना, उग्र वचन, शस्त्र उठाना, झपटना, गर्जन, तर्जन, अपनी प्रशंसा ।। वीरपुलक । भयानक–स्वेद, कंप, वैवर्य, रोमांच, स्तंभ आदि । वीभत्स–थूकना, मुँह फेरना, नाक सुकौड़ना । अद्भुत-स्तंभ, स्वेद, रोमांच।। अनुभाव-कायिक और सात्त्विक । सात्विक अनुभावस्तंभ, स्वेद, रोमांच, स्वरभंग, कंप, अश्रु, वैवर्य, प्रलय Voluntory and Involuntory | biz # अनैच्छिक या सात्विक । ] नायिकाओं के अलंकार २८ होते हैंअंगज़-भाव, हाव, हेला। अयत्नज-शोभा, कांति, दीप्ति, माधुर्य, प्रगल्भता,औदार्य, धैर्य। सयत्नज कृतिसाध्य–लीला, विलास, विच्छित्ति, विवोक, किलकिंचित, मोट्टायित, कुट्टमित, विभ्रम, ललित, मद, विहृत, तपन, मौग्ध्य, विक्षेप, कुतूहल, हसित, चकित, केलि ।। उक्ताः स्त्रीणामलंकाराः अङ्गजाश्च स्वभावजाः ।। ३७