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रस-मीमांसा

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रस-मीमांसा FECT without any stretch of comprehension. Not so the example #tasft etc. in which the निषेध is appreherided after प्रकरणादि पर्यालोचन, Therefore there is no out. The rule is fora चाक्य में पदार्थों ( meanings of words ) संबंध अनुपपन्न होता है उसी में लक्षणा होती है। जहाँ पदों के मुख्य अर्थ का अन्वय हो जाने के उपरांत अवसर या प्रसंग के विचार से बाध की प्रतीति होती है वहाँ लक्षणा नहीं हो सकती। अभिधामूलक 21' विवक्षित-वाच्य-ध्वनि| Of two kinds-असंलक्ष्य-क्रम व्यंग्य 17l लक्ष्य-कम व्यंग्य । (a ) असंलक्ष्य-क्रम व्यंग्य-The examples are रस, भाव, रसाभास, भावाभास. (N. B. It shows the innumerability of Rasas and Bhavas, the author alludes to चुंबन, आलिंगन etc, But विभाव and अनुभाव are always वाच्य, never व्यंग्य. Only स्थायी azad संचारी can by व्यंग्य. ) (b) संलक्ष्य-क्रम व्यंग्य ध्वनि of three kinds-(1) शब्द-शक्त्युद्भव ध्बूनि, (2) अर्थशक्त्युद्भव ध्वनि and ( 3 ) उभयशक्त्युद्भव ध्वनि. | (1) शब्दशक्त्युद्भव ध्वनि of two kinds वस्तुरूप । and अलंकाररुप. | (a ) वस्तुरूप Example ( स्वयंदूती वचन)-पथिक ! इन उठे हुए पयोधरों को देखकर यदि ठहरना चाहते हो तो ठहर जाव ( पयोधर = मेघ and स्तन ).