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रस-मीमांसा

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रस-मीमांसा In the quotation from अभिज्ञानशाकुंतल-“चलापांगा दृष्टि' etc. the word हताः (मरा) has been pointed out as all example of प्रकृतिगत ध्वनि ( हुन् = मारना ). But as this word suggests the air fact after लक्ष्यार्थ, there is लक्षामूलक ध्वनि; but असंलक्ष्य-क्रम belongs to अभिधामूलक ध्वनि not to लक्षणामूलक, The following may be taken as examplesप्रत्यय ' अव्ययगत-(a) चमारों तक ने चंदा दिया। (b ) मुखड़ा, मधुकड़, The examples of व्यंग्य in वर्ण an! रचना 41re to lie sought irl माधुर्य-व्यंजक वर्ण i12 वैदर्भी and s0 01.) संकर और संसृष्टि ध्वन संकर-Where different sorts of ध्वनि hit:same आश्रय ( शब्द and अर्थ ) ०1" inte:dependent, the ध्वनि is संकर e. g. पीन स्तनों से सुशोभित, दीर्घ और चंचल नेत्रवाली प्रिय के आगमन के महोत्सव में द्वार पर खड़ी हुई मांगलिक-पूर्ण कलश और कमलों की बंदनवार बिना यत्न के ही संपादित कर रही हैं. | Here व्यंग्य रूपक अलंकार (स्तन = कलश anil नेत्र= कमल-तोरण ) 11d व्यंग्य शृंगार rest on tlie sat15 आश्रय. गुणीभूत व्यंग्य व्यंग्य अर्थ या तो अन्य ( रसादि ) का अंग होता है, या काकु से आक्षिप्त होता है, या वाच्यार्थं का ही उपपादक ( सिद्धि का अंगभूत ) होता है, अथवा वाच्य की अपेक्षा उसकी प्रधानता