पृष्ठ:रस साहित्य और समीक्षायें.djvu/७०

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हिन्दी भाषा का विकास विदेशी विद्वानों का मत है कि आर्य जाति मध्य एशिया से भारतवर्ष में आयी, कोई कहता है तिब्बत से, कोई कहता है हिन्दूकुश अथवा काकेशस के आस-पास से। कुछ लोग इस बात को नहीं मानते। वे कहते हैं, पश्चिमी यूरोप अथवा प्रारमेनिया, किम्बा ऑक्सस नदी का कान्त कूल उनका आदिम निवास स्थान था । अन्तिम मत यह है कि प्राचीन आर्य लोग दक्षिण रूस के सुन्दर पहाड़ी प्रदेश के रहनेवाले थे। किन्तु अनेक भारतीय विद्वान् इन विचारों से सहमत नहीं हैं। वे कहते हैं, पवित्र भारतवर्ष ही हमारा क्रीड़ा-क्षेत्र और आदिम निवासस्थल है। वे स्वर्गोपम काश्मीर प्रदेश अथवा उसके समीपवर्ती संसार में सर्वोच्च पामीर आदि भू-भाग को अपनी आदि जन्मभूमि मानते हैं। वे कहते हैं. उसी स्थान से मुख्य निवासी आर्य भारतवर्ष में पूर्व और दक्षिण में बढ़े और यहीं से आर्य जाति की कुछ शाखाएँ ईरान होती हुई दूसरे प्रदेशों में गयीं। इस विषय में विस्तृत समालोचना करने का स्थान नहीं; अतएव अब मैं प्रकृत विषय लिखने में प्रवृत होता हूँ। यह निश्चित है कि जन्म-ग्रहण-उपरान्त आर्य जाति चिरकाल तक काश्मीर प्रदेश में अथवा उसके निकटवर्ती भू-भाग में रही और फिर वह वहाँ से कई दलों में विभक्त