पृष्ठ:रहीम-कवितावली.djvu/२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२२
रहीम का परिचय

                  ( ४ )
वहति मरुति मन्दम् मैं उठी राति जागी।
शशिकर कर लागे सेज को छोड़ भागी॥
अहह विगत स्वामी मैं करूँ क्या अकेली।
मदन शिरसि भूयः क्या बला आन लागी॥

                  ( ५ )

छबि छकित छबीली छैलरा की छड़ी थी।
मणि जटित रसीली माधुरी मुंदरी थी।।
अमल कमल ऐसा खूब से खूब लेखा।
कहि सकत न जैसा कान्ह का हस्त देखा॥

                 ( ६ )

विगत घन निशीथे चाँद की रोशनाई।
सघन घन निकुंजे कान्ह वंशी बजाई॥
सुतपति गत निद्रा स्वामियाँ छोड़ भागीं।
मदन शिरसि भूयः क्या बला आन लागी॥

                ( ७ )

हर-नयन हुताशन ज्वालया भस्भिभूत।
रतिनयन जलौघे खाख बाकी बहाया॥
तदपि दहति चितं मामकं क्या करौंगी।
मदन शिरसि भूयः क्या बला आन लागी।।