पृष्ठ:रहीम-कवितावली.djvu/९४

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बरवै नायिका-भेद । . . ४३ परकीया कलहान्तरिता- जेहि लगिकीन बिरोगवा, ननद जेठानि । लीन न लाइ करेजवा, तेहि हित जानि ॥ ५३॥ गणिका-कलहान्तरिता- जेहि दीन्हे बहु बेरिया, मोहिं मनि-माल । तेहते कठेउँ सखिया, फिरि गौ लाल ॥ ५४॥ ४-बिपलब्धा । मुग्धा-विप्रलब्धा- मिलेउ न कन्त सहेटवा, लखेउ डेराइ । धैनिमा कमल बइनित्रा, गौ कुभिलाइ ॥ ५५॥ . मध्या-बिप्रलब्धा- लखेसि न केलि-भवनवाँ, नन्द-कुमार। .. लै-लै वि उससवा, ह्वइ बिकरार ॥ ५६ ॥ प्रौढ़ा-बिपलब्धा- देखि न कन्त सहेटवा, भो दुख पूरि । रोवत नैन कजरवा, द्वै गौ दूरि ॥ ५७ ॥ परकीया-बिप्रलब्धा-.. बैरिनि मह अमिसरवा, अति दुखदानि । तापर मिल्यो न मितवा, भो पछितानि ।। ५८॥ गणिका-विप्रलब्धा- करिकै सोरह सिंगरवा, अतर लगाइ । मिलेउ न लाल सहेटवा, फिरि पछिताइ ।। ५६ ॥ ५५-एकान्त स्थान । २-नायिका । ५६-१-बेकल ।

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