पृष्ठ:राजविलास.djvu/४२

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राजबिलास । अथ श्री बापा राउल तो पहावली लिख्यते । छंद विअक्षरी। बापा रावर पाट विराजय । रावल श्री षुम्मान सुराजय ॥ नगर तिनहि षमणारनि पाइय । सिंध मालवं पति समर हराइय ॥ १॥ रावर श्री कुवेर रयणायर। दान करन तप तेज दिवायर ॥ रावर त्रिपुर सीह बहु विक्रम । सत्यवंत हरिचंद भूप सम ॥२॥ गोविँद रावर रनहिं थिर सुहर । गट्ट गुमान जानि सुर गिरवर ॥ श्री माहेंद्र नाम महरावर। विभव अनंत सत्य वसुधा वर ॥ ३ ॥ कीरति धवल धबल कीरति धर । सकुँत कुमार रावर जनु श्रीबर ॥ सारि वाहन रावर सक. बंधिय । सिंह समान सकल धर सद्धिय ॥ ४ ॥ रावर श्री नर लीलर ढालह । पुहवीं पति सु प्रजा प्रतिपालह ॥ अंब पसाउ सु जंग अभंगह । श्री नर बम बषानि सु चंगह ॥ ५॥ अल्लू रावर राज नीति अति । इंद नरिंद एक जनु गति मति ॥ विरद अघाट साष उतपन्निय । महि मंडल नृप नप करि मन्निय ॥ ६ ॥ जुद्ध जुडण रिपु मलन जसो भ्रम । धारम सिंघ राज क्षत्री ध्रम ॥ जोग राज रावर जयवंतह । साहस सिंह समान सुमंतंह ॥ ७॥